PhD में इनके रिसर्च का विषय था “भारत और चीन की विभिन्न औद्योगिक इकाइयों पर सन् 1991 के वैश्वीकरण (GLOBALISATION) के प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन”। इनका जन्म बिहार में हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की प्रसिद्ध नगरी गया में हुआ। इनके पिता, स्व. गिरिजा नंदन सिंह, बिहार के एक जाने माने भूगोलविद्य थे और माता, डॉ सुधा सिंह, एक अच्छी शिक्षिका और कुशल गृहिणी हैं । इनके पिता बहुत ही इमानदार और धर्मपरायण प्रोफेसर और डीन थे तथा उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीब छात्रों की कई स्तर पर मदद की। डॉ प्रियदर्शिनी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा दानवीर कर्ण की तपोभूमि मुंगेर और स्नातकोत्तर की शिक्षा पौराणिक विक्रमशिला यूनिवर्सिटी और सिल्क सिटी भागलपुर में हुई। कहते हैं "बाढ़े पूत पिता के धर्मे, खेती उपजै अपने कर्मे", उसी तरह से बचपन में ही इनके माता-पिता ने इन्हें और इनके भाई - बहनों को पढाई के साथ साथ हिंदी साहित्य, पौराणिक ग्रंथो और अपनी प्राचीन भाषा, संस्कृत, का पाठ पढ़ा दिया था जो अब इनके और इनके भाई - बहनों के संस्कारों और व्यक्तित्व में परिलक्षित है। डॉ प्रियदर्शिनी की शादी पटना के करीब अवस्थित नौबतपुर प्रखंड में चेसी ग्राम के एक सफल, , प्रगतिशील, दूरदर्शी और बेहद संवेदनशील कृषक, स्व. भागीरथ शर्मा, और सफल गृहिणी, स्व. रामपरी शर्मा के छोटे पुत्र, श्री मृगेंद्र कुमार से हुई। श्री कुमार की शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया से हुई है। पढ़ाई के बाद श्री कुमार, 2001 से 2013 के बीच, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर रंगमंच के माध्यम से नौबतपुर, पटना और दिल्ली में सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। इस दौरान इन्होंने नाट्य निर्देशक और कलाकार के रूप में सामाजिक विषमताओं के ऊपर कई नाटकों का निर्देशन और मंचन नौबतपुर, पटना तथा देश के विभिन्न राज्यों में किया। श्री कुमार ने नौबतपुर में यहीं के गरीब छात्र-छात्राओं के साथ 2003 से 2007 के बीच "नाट्य कार्यशालाएं" तथा "नाट्य उत्सव" आयोजित किए हैं। इन नाट्य कार्यशालाओं में प्रशिक्षित नौबतपुर प्रखंड के कई युवा आज रंगमंच तथा सिनेमा से जुड़कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। श्री कुमार के माध्यम से डॉ ममतामयी प्रियदर्शिनी ने नौबतपुर और बिहार की मूलभूत समस्यायों को और बेहतर तरीके से जाना। इनके के दो प्यारे सुपुत्र हैं।फिलहाल डॉ प्रियदर्शिनी अपने पति के साथ मिलकर बिहार-झारखंड तथा अन्य राज्यों में अपने व्यावसायिक गतिविधियों को विस्तार देने में संलग्न हैं। डॉ ममतामयी प्रियदर्शिनी एक स्व-निर्मित प्रगतिशील महिला हैं। बिहार में रोजगार के साधनों के अभाव के कारण इन्हें एमबीए करने के बाद रोजगार की तलाश में दिल्ली की ओर रुख करना पड़ा। वहां कुछ वर्षों तक इन्होंने विभिन्न पदों पर कई कंपनियों के साथ जुड़कर काम किया और 2007 में स्वतंत्र व्यवसायी के रूप में अपने नए पारी की शुरुआत की। शुरुआती संघर्ष के बाद इन्होंने एक सफल महिला उद्यमी के रूप में पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी। डॉ प्रियदर्शिनी को बिहार की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की समस्याएं तथा स्व-रोजगार के लिए बिहार छोड़ने की उनकी अपनी पीड़ा ही इनके बिहार से जुड़े रहने का कारण रहा। इसी पीड़ा और बिहार से जुड़कर काम करने की इनकी प्रबल उत्कंठा के कारण इन्होंने 2013 में पटना, बिहार में अपने कार्यालय का शुभारंभ किया और बिहार के कई स्वास्थ्य संस्थाओं से जुड़कर पिछले 7 वर्षों से यहां काम कर रही हैं।
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