मेरी सबसे पहली रचना कविता 'जीवन जीवण रो तरीको'जगती जोत अप्रैल 1995 में जो कि राजस्थानी की मासिक पुस्तक है में प्रकाशित हुई।मेरा उत्साह वर्धन हुआ खिशी हुई व लेखन के प्रति रुचि को बल मिला।नवम्बर 1996 को शिविरा में "चाहते है बच्चे प्रसंशा"व नवम्बर 1998 को शिविरा में"बच्चों की तुलना"शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ।'माणक'(राजस्थानी)की मासिक पुस्तक सितंबर-अक्टूबर 1996 में"गुनैगार"शीर्षक से मेरी कहानी प्रकाशित हुई।इस प्रकार से मेरी साहित्य लेखन के प्रति रुचि बढ़ती गई व लेखन कार्य चलता रहा।जब कभी फुर्सत में होता हुई कविता,कहानी,बाल कथा,बाल कहानी।लघु कथा,व्यंग्य,लेख आदि लिखता रहता है।अब फेसबुक में भी कविताएँ है व समूह अलग-अलग नाम से है उनमें भी उनके दिए गए शीर्षक अनुसार लिखी गई है।इस प्रकार से मेरा रचनात्मक लेखन कार्य निरन्तर जारी है।।