A master trainer for various crafts with khadi and handicraft dept, writer ,singer and social worker . परिचय *तृप्ति मिश्रा* मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में जन्मी तृप्ति मिश्रा विज्ञान से स्नातक हो कर सिम्बायोसिस पुणे से एम बी ए हैं। भूतपूर्व सेना अधिकारी की पत्नी तृप्ति ने स्वतंत्र लेखन कार्य के साथ लघु उद्योग निगम और खादी बोर्ड के साथ जुड़कर, गाँव-गाँव में विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण देकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है। करीब 15 वर्षों से ज़्यादा समय तक विभिन्न विभागों, संस्थाओं के साथ मिलकर 5000 से ज़्यादा महिलाओं को, सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में, अलग-अलग विधाओं में प्रशिक्षण दिया। विशेषकर पिछड़े इलाकों, दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों एवम निचले तबकों में। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कार्यशालाओं के साथ एक अनूठा निःशुल्क, निःस्वार्थ कार्य पर्यावरण के क्षेत्र में शुरू किया। पर्यावरण संरक्षण के लिए वे विगत सोलह वर्षों से निःशुल्क मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं। हालाँकि सरकार द्वारा मिट्टी के गणेश पर जानकारी देना 2014 के पश्चात शुरू हुआ। जबकि तृप्ति मिश्रा ये कार्य इसके भी 10 वर्ष पूर्व से निःशुल्क विभिन्न वर्कशॉप्स, क्लब और स्कूल में जाकर कर रही थीं। 2014 में एक सड़क दुर्घटना में पति का देहान्त हो गया। पारिवारिक स्थितियाँ बदलने के बावजूद पर्यावरण संरक्षण का इनका प्रण अनवरत जारी रहा। 2018 में स्लिप डिस्क सर्जरी की वजह से गाँव-गाँव में ट्रेनिंग्स बंद हो गयीं ,पर वे निःशुल्क मिट्टी के गणेश का प्रशिक्षण देती रहीं। इस वर्ष कोरोना में भी विभिन्न क्लबों के साथ जुड़कर तृप्ति ने ऑनलाइन और वेबिनार के ज़रिए इन वर्कशॉप्स का आयोजन किया जिसमें पूरे भारतवर्ष से महिलाएं जुड़ीं। सर्जरी के कारण अब ज़्यादातर समय घर में ही व्यतीत होता है अतः उन्होंने अपने सकारात्मक व्यक्तित्व को संगीत से जोड़ा और शौक़िया गायन और लेखन शुरू किया। वर्तमान कोरोनाकाल में उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्राचीन लुप्त होते जा रहे ढोलक वाले गीतों का लय सहित संरक्षण करना शुरू किया। इनकी लोकगीतों पर आधारित पुस्तक "लोक-लय" भी प्रकाशित की हो चुकी है। जिसमें अत्यंत पुरातन 70 भक्ति गीतों का संकलन है और सभी गीत अपनी मूल धुन में यूट्यूब चैनल "सृजन Trupti Mishra" में संरक्षित किये गये हैं। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें -सभी गीत विलुप्तप्राय लोकगीत है। -गीत के साथ मूल धुन भी यूट्यूब चैनल के माध्यम से संरक्षित की गई है जो पहले कभी नहीं हुआ है। -अभी भी उनके द्वारा शोध कार्य और पुरातन लोकगीतों को खोजकर उनकी मूल धुनों को संरक्षित करना लगातार जारी है - अभी तक 170 से ज़्यादा पुरातन लोकगीत जिसमें, भक्ति गीत, विवाह गीत, दादरे-कजरी आदि शामिल हैं।इस लॉकडाउन में उन्होंने इन गीतों की मूल धुनों को यूट्यूब पर इनके साहित्य और इनके पीछे की कथाओं/किंवदंतियों की जानकारियों सहित भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कर दिया है। भविष्य में अपनी निःशुल्क मिट्टी के गणेश वर्कशॉप्स के साथ अब लोकगायन और भारतीय साहित्य में अपना योगदान देने की उनकी योजनाएँ हैं। "Show must go on" की तर्ज़ पर एक के बाद एक संघर्ष, उससे निकल कर सकारात्मक रूप में फिर से सिर उठा कर खड़े होने व साहित्य, संस्कृति ,पर्यावरण को बचाने के प्रण के साथ उनकी अनन्त यात्रा जारी है।
A master trainer for various crafts with khadi and handicraft dept, writer ,singer and social worker . परिचय *तृप्ति मिश्रा* मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में जन्मी तृप्ति मिश्रा विज्ञान से स्नातक हो कर सिम्बायोसिस पुणे से एम बी ए हैं। भूतपूर्व सेना अधिकारी की पत्नी तृप्ति ने स्वतंत्र लेखन कार्य के साथ लघु उद्योग निगम और खादी बोर्ड के साथ जुड़कर, गाँव-गाँव में विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण देकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है। करीब 15 वर्षों से ज़्यादा समय तक विभिन्न विभागों, संस्थाओं के साथ मिलकर 5000 से ज़्यादा महिलाओं को, सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में, अलग-अलग विधाओं में प्रशिक्षण दिया। विशेषकर पिछड़े इलाकों, दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों एवम निचले तबकों में। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कार्यशालाओं के साथ एक अनूठा निःशुल्क, निःस्वार्थ कार्य पर्यावरण के क्षेत्र में शुरू किया। पर्यावरण संरक्षण के लिए वे विगत सोलह वर्षों से निःशुल्क मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं। हालाँकि सरकार द्वारा मिट्टी के गणेश पर जानकारी देना 2014 के पश्चात शुरू हुआ। जबकि तृप्ति मिश्रा ये कार्य इसके भी 10 वर्ष पूर्व से निःशुल्क विभिन्न वर्कशॉप्स, क्लब और स्कूल में जाकर कर रही थीं। 2014 में एक सड़क दुर्घटना में पति का देहान्त हो गया। पारिवारिक स्थितियाँ बदलने के बावजूद पर्यावरण संरक्षण का इनका प्रण अनवरत जारी रहा। 2018 में स्लिप डिस्क सर्जरी की वजह से गाँव-गाँव में ट्रेनिंग्स बंद हो गयीं ,पर वे निःशुल्क मिट्टी के गणेश का प्रशिक्षण देती रहीं। इस वर्ष कोरोना में भी विभिन्न क्लबों के साथ जुड़कर तृप्ति ने ऑनलाइन और वेबिनार के ज़रिए इन वर्कशॉप्स का आयोजन किया जिसमें पूरे भारतवर्ष से महिलाएं जुड़ीं। सर्जरी के कारण अब ज़्यादातर समय घर में ही व्यतीत होता है अतः उन्होंने अपने सकारात्मक व्यक्तित्व को संगीत से जोड़ा और शौक़िया गायन और लेखन शुरू किया। वर्तमान कोरोनाकाल में उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्राचीन लुप्त होते जा रहे ढोलक वाले गीतों का लय सहित संरक्षण करना शुरू किया। इनकी लोकगीतों पर आधारित पुस्तक "लोक-लय" भी प्रकाशित की हो चुकी है। जिसमें अत्यंत पुरातन 70 भक्ति गीतों का संकलन है और सभी गीत अपनी मूल धुन में यूट्यूब चैनल "सृजन Trupti Mishra" में संरक्षित किये गये हैं। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें -सभी गीत विलुप्तप्राय लोकगीत है। -गीत के साथ मूल धुन भी यूट्यूब चैनल के माध्यम से संरक्षित की गई है जो पहले कभी नहीं हुआ है। -अभी भी उनके द्वारा शोध कार्य और पुरातन लोकगीतों को खोजकर उनकी मूल धुनों को संरक्षित करना लगातार जारी है - अभी तक 170 से ज़्यादा पुरातन लोकगीत जिसमें, भक्ति गीत, विवाह गीत, दादरे-कजरी आदि शामिल हैं।इस लॉकडाउन में उन्होंने इन गीतों की मूल धुनों को यूट्यूब पर इनके साहित्य और इनके पीछे की कथाओं/किंवदंतियों की जानकारियों सहित भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कर दिया है। भविष्य में अपनी निःशुल्क मिट्टी के गणेश वर्कशॉप्स के साथ अब लोकगायन और भारतीय साहित्य में अपना योगदान देने की उनकी योजनाएँ हैं। "Show must go on" की तर्ज़ पर एक के बाद एक संघर्ष, उससे निकल कर सकारात्मक रूप में फिर से सिर उठा कर खड़े होने व साहित्य, संस्कृति ,पर्यावरण को बचाने के प्रण के साथ उनकी अनन्त यात्रा जारी है।
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