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Represent
Uttar Pradesh
Name
Dr. Preeti
Category
Teacher & Principal
Profession
Teacher
Education
M.Sc., B. Ed.,Ph.D
City
Bulandshahr
State
Uttar Pradesh
Contact
Private
Private
Status
Participation Completed
शिक्षिका का नाम - डॉ. प्रीति चौधरी पिता का नाम - चौ.रणवीर सिंह जन्मतिथि - 11/03/1982 पद - सहायक अध्यापक, संकुल शिक्षक विद्यालय - उच्च प्राथमिक विद्यालय सुनपेडा, सिकंदराबाद,बुलंदशहर। शैक्षिक योग्यता - एम.एस.सी., बी. एड., पी.एच.डी.। नियुक्ति - 2015 (सीधी भर्ती विज्ञान) कार्य व गतिविधियां ---- "सरस्वती मां की करते हैं आराधना, पूर्ण कि उन्होंने हमारी कामना, शिक्षण कार्य करना लगता था अच्छा, शिक्षक बनकर अब करनी है साधना।" 1.नियुक्ति के समय हमारे विद्यालय में 67 विद्यार्थी थे, निरंतर प्रयासों के उपरांत,उच्च प्राथमिक विद्यालय और केवल तीन कक्षाओं में अब विद्यार्थी संख्या 110 हो गई है, जिस को देखकर खुशी की अनुभूति होती है। 2. कक्षा में निरंतर गतिविधि माध्यम से ही पढ़ाया जाता है। जैसे -अगर विभिन्न वनस्पतियों के बारे में पढ़ाना है,तो बच्चों को उन्हीं वनस्पतियों को रुप दे दिया जाता है अर्थात किसी बच्चे को मरुस्थलीय, किसी को उष्णकटिबंधीय वन, बनाकर उनके विषय में बोलने के लिए प्रेरित किया जाता है।जिससे कि छात्रों को भी पढ़ने में बहुत रुचि रहती है।पढ़ाई के साथ ही सभी अन्य गतिविधियों पर भी उचित ध्यान दिया जाता है। 3.प्रत्येक शनिवार को बाल सभा होने का लाभ मिलता है, जिसके बाद पौधों पौधारोपण एवं अपने पौधों की देखभाल में बच्चे समय व्यक्त करते हैं।सभी बच्चों को एक-एक पौधा देखभाल के लिए दिया गया है, उस पौधे पर उन्होंने अपना नाम लिखकर पर्ची चिपकाई हुई है। 4. बच्चों को कक्षा में पढ़ाई के साथ साथ गतिविधियां कराना, नाटक मंचन कराना, जिससे वे विभिन्न पात्रों को अच्छे से आत्मसात कर सकें। कविता पाठ,देशभक्ति गीत देशभक्तों के विषय में बच्चों को बोलने के लिए प्रेरित करना अंग्रेजी की अंताक्षरी आदि के माध्यम से समुचित ज्ञान दिया जाता है। 5.लाकडाउन के समय बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए ऑनलाइन क्लास संचालित करना जिसमें उन्हें लगातार शैक्षिक सामग्री भेजी गई और सीखे हुए कार्य का आकलन किया गया। इसमें कभी कभी वीडियो कॉल के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। 6. स्किल डेवलपमेंट के लिए विद्यार्थियों को पाक कला,कृषि कला,क्राफ्ट वर्क,पुरानी वस्तुओं से नई उपयोगी वस्तुएं बनाना,पुराने अखबार से बैग बनाना आदि भी कक्षा में सिखाए गए हैं। 7. उपयुक्त शिक्षण सहायक सामग्री का चुनाव कर विद्यार्थियों को शिक्षण सहायक सामग्री की मदद से पढ़ाया जा रहा है। 8. प्रत्येक शिक्षक संकुल की मीटिंग में प्रीति चौधरी हमेशा एक नए विचार के साथ अपनी प्रस्तुति देकर सभी का प्रोत्साहन प्राप्त करती हैं। 9.पाठ्यक्रम संचालन के लिए समय सारिणी, पाठ्यक्रम विभाजन, पाठ्योजना का संकलन और कार्यपत्रकों का निर्माण एक डायरी के रूप में एक जगह संग्रहीत करके रखना ताकि समय का सदुपयोग हो। विद्यालय का एक वार्षिक कैलेंडर बनाकर आगामी वर्ष की योजना तैयार की जाती है। 10.शैक्षिक सामग्री ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का समुचित उपयोग। 11. यूट्यूब पर विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री को आसान बनाकर बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है। इसमें पाठ्यक्रम से संबंधित वीडियो देखकर बच्चे बेहतर तरीके से ज्ञान अर्जित करते हैं। 12. कोरोना के इस भयावह समय में,मैं अपने विद्यार्थियों से भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए उन्हें रोज फोन करके प्रोत्साहित करने का प्रयास करती हूँ। 13. आधारशिला,ध्यानाकर्षण,शिक्षण संग्रह मॉड्यूस को समझने के लिए, जिला स्तर पर हुऐ वेबीनार में, अपनी प्रस्तुति दी। 14. साहित्य लेखन रुचि होने की वजह से मैं बच्चों को पाठ की विषय वस्तु कविता के रूप में समझाने का प्रयास करती हूँ, समय-समय पर मेरे द्वारा लिखी गई कविताएं अखबार में भी प्रकाशित होते हैं। 15. विद्यालय से जु़ड़े हुए, सभी विषयों को जैसे-बाल विवाह,बेटा बेटी को समान अधिकार,बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, समान अवसर-समान अधिकार, जाति प्रथा का विरोध आदि को मीना मंच के माध्यम से बच्चों एवं अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया जाता है। 16 . विद्यालय में वह सभी गतिविधियां की जाती हैं जिनसे बेस्ट स्टूडेंट का चुनाव हो एवं समय-समय पर बच्चों की आवश्यकता के अनुसार पठन-पाठन होता है। मिशन शक्ति के सभी कार्यक्रम भली-भांति कराए गए।(अन्य सभी बातें तस्वीरों में अंकित हैं।) "संपूर्ण व्यक्तित्व का करना है निर्माण, सभी बच्चे हैं हमारे लिए एक समान। सीखना सिखाना है,पढ़ना पढ़ाना है, कर्म पर बढ़कर करना है भविष्य निर्माण।" शिक्षक का कर्तव्य अपने विद्यार्थियों के लिए हर संभव प्रयास करके,उनको ज्ञान देना एवं अच्छा नागरिक बनाने का होता है,ताकि हम अपने देश के एक अच्छे भविष्य का निमार्ण कर सकते हैं।हमारे बच्चे अधिक पढ़े-लिखे परिवारों से नहीं आ पाते इसीलिए हमारा दायित्व ज्यादा बढ़ जाते हैं। सभी को हार्दिक प्रणाम,भारत माता की जय।